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शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

Indian Geography - Complete Notes Of Indian Geography Part 02 - Indian Geography UPSC Notes Topic Wise

Indian Geography - Complete Notes Of Indian Geography Part 02 - Indian Geography UPSC Notes Topic Wise :

भारतीय भूगोल नोट्स पार्ट 2
भारतीय भूगोल (Indian Geography) भाग 02 पढ़ने वाले छात्रों का एक ही शब्द कहने को मिलता है, वो ये है कि "बहुत अच्छा लगा"। अगर आप भूगोल को अच्छे से नहीं पढ़ते है तो आपको ये विषय बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा साथ मे बोरिंग भी लगेगा। बहुत सारे ऐसे छात्र है जो भारतीय भूगोल (Indian Geography) को पढ़ने मे काफी रुचि रखते हैं, क्यूंकि वो इस विषय को परीक्षा की दृष्टि से नहीं ब्लकि अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए पढ़ते है। भारतीय भूगोल (Indian Geography) को शुरू करने से पहले हम भूगोल के बारे में कुछ आधरित जानकारी को समझेंगे। भूगोल को पढ़ना क्यूँ जरूरी है? ये सब की जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी। 
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Indian Geography - Complete Notes Of Indian Geography :

दोस्तो आज के पोस्ट में हम आपके सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण भारतीय भूगोल (Indian Geography) का नोट्स देने वाले है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ लेते है तो दोबारा भारतीय भूगोल (Indian Geography) पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस पोस्ट में हम आपके लिए संपूर्ण भारतीय भूगोल (Indian Geography) का नोट्स देने वाले है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। 

भारतीय भूगोल (Indian Geography) नोट्स का भाग 02 आज हमलोग देखने वाले है। भारतीय भूगोल (Indian Geography) नोट्स भाग 01 में हम प्रमुख दर्रे तक पढ़े थे। आज के इस पोस्ट में हम आगे बढ़ेंगे। 

             भारत का भौतिक विभाजन               

भारत के संपूर्ण क्षेत्रफल का 10.7% भाग पर्वतीय क्षेत्र है,तथा 18.6% भाग पर पहाड़ी हैं तथा सबसे बड़ा भौगोलिक क्षेत्र पर पठार है जो कि पूरे क्षेत्रफल का 27% हैं। मैदान सबसे ज्यादा विस्तृत है - 43%

हिमालय - यह नवीन मोड़दार (वालित) पर्वत है इसका निमार्ण टीयरी काल में अल्पाइन हलचल के करण इण्डियन प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट के टकराने से टेथिस सागर के अवसाद (भू-सन्नति) से हुआ है। इसका आकार तलवार के समान है यह पश्चिम में अधिक चौड़ा है और पूरब में कम चौड़ा है।

● सबसे ऊंची पर्वत  - हिमालय 

● सबसे लम्बा पर्बत  - एंडीज, रॉकी, हिमालय, 

● हिमालय के चार भाग  -  (1) ट्रांस (2) वृहद (3) मध्य (4) शिवालिक। 

● ट्रांस हिमालय  - यह हिमालय का सबसे प्राचीनतम भाग है और यहाँ पर वनस्पतियों का अभाव है।

इसके चार भाग हैं  -
(1) काराकोरम        (2) लद्दाख 
(3) जास्कर            (4) पीरपंजाल

● भारत की सबसे ऊँची चोटी (K2) गॉडविन ऑस्टिन 8611 मीटर काराकोरम पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी है।

● माउंट राकापोशी लद्दाख श्रेणी के सर्वोच्च चोटी है। इस चोटी की ढाल विश्व में सर्वाधिक तीव्र मानी जाती है।

वृहद हिमालय - यह हिमालय की सबसे ऊँची श्रेणी है। विश्व की सबसे ऊँची चोटी माऊंट एवरेस्ट इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है। कंचनजंघा, नंगा पर्वत, नंदा देवी आदि इसके कुछ प्रमुख शिखर हैं-

● बंदरपूंछ और कामेट के बीच ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ पर्वत हैं।

मध्य हिमालय/लघु हिमलाय - हिमालय का यह भाग पर्यटन के लिए मशहुर है और यहाँ की औसतन ऊंचाई 1800 से 3000 मीटर है। इसी के पास शीमला, कुल्लु, मनाली, मसुरी, नैनीताल, डलहौजी, रानीखेत आदि जैसे प्रमुख प्रर्यटन स्थल है। यहाँ की ढालो पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाये जाते हैं। जिन्हें कश्मीर में मर्ग कहते हैं।

जैसे- सोनमर्ग, गुलमर्ग।

● शिवालिक हिमालय - यह हिमालय पर्वत का सबसे दक्षिणी तथा भौगोलिक रूप से युवा भाग है जो पश्चिम से पूरब तक फैला हुआ है इसकी औसत ऊंचाई 850 - 1200 मीटर है। इसका विस्तार पच्छिम में पाकिस्तान की सुलेमान पहाड़ी से लेकर पूर्व में भारत और म्यांमार के साथ सीमा बनाने वाले आराकाम पर्वत तक है। इस क्षेत्र में अनेक समतल घाटियाँ हैं जिसे 'दून' और 'द्वार' कहते हैं जैसे - हरिद्वार, देहरादून।

● जिस जगह पर ट्रांस तथा बृहद हिमालय मिलते हैं, उसे शचर जोन कहा जाता है। 

● जिस जगह पर बृहद तथा मध्य हिमालय मिलते हैं, उसे Main Central Thrust कहा जाता है। 

● जिस जगह पर मध्य तथा शिवालिक हिमालय मिलते हैं, उसे वृहत्त सीमांत दरार कहा जाता है। 

    नदियों के आधार पर हिमालय का विभाजन  

सबसे पहले सर सिडनी ने हिमालय का विभाजन नदियों के आधार पर किया  -

1. पंजाब हिमालय 

2. कुमाऊँ हिमालय 

3. नेपाल हिमालय 

4. असम हिमालय 

1. पंजाब हिमालय -

सिंधु नदी से सतलज नदी के बीच का भाग पंजाब हिमालय कहलाता है। इसकी लम्बाई 560 किमी. है। यहाँ पर जाफरान की खेती होती है।

2. कुमाऊँ हिमालय -

सतलज नदी से काली नदी के बीच का भाग कुमायूँ हिमालय कहलाता है। इसका विस्तार उत्तराखण्ड में है। इसकी लम्बाई 320 किमी. है। नंदादेवी, केदारनाथ, बद्रीनाथ आदि प्रमुख चोटियाँ इसी पर है।

3. नेपाल हिमालय - 

काली नदी से तिस्ता नदी के बीच का भाग नेपाल हिमालय कहलाता है। इसका विस्तार मुख्यतः नेपाल में है। इसकी लम्बाई 800 किमी. है। माउंट एवरेस्ट, कंचनजंघा प्रमुख चोटी इसी पर है।

4. असम हिमालय - 

तिस्ता नदी से दिहांग नदी (ब्रह्मपुत्र) के बीच के भाग असम हिमालय कहलाता है। इसकी लम्बाई 720 से 750 किमी. है।

                   मॉनसून  (monsoon)              

● मानसून की प्रथम बार वर्णन अल-मसूदी ने किया।
● मानसून अरबी भाषा का शब्द है, इसकी उत्पत्ति मौसिम शब्द से हुआ है। जिसका अर्थ होता है। ऋतु (मौसम) के अनुसार दिशा बदलने वाली पवन।
● वायु की दिशा का नामकरण इस आधार पर होता है कि वह किस दिशा में आ रही है।
● भारतीय मानसून दक्षिण-पश्चिम दिशा से आता है।
● मानसून 1 जून को केरल के मालाबार तट से टकराता है और 15 जुलाई तक पूरे भारत में फैल जाता है। यह सबसे अंत में पंजाब में पहुंचता है।
● भारत में औसत वार्षिक वर्षा 125 cm होता है।
● दक्षिण-पश्चिम मानसून से तमिलनाडु तथा कच्छ में वर्षा नहीं होती है-कारण मानचित्र से समझें।
● दक्षिण-पश्चिम मानसून दो शाखा में बँट जाता है।
1. अरब सागरीय शाखा
2. बंगाल की खाड़ी वाली शाखा


ऊपर दिए गए नक्शे में मॉनसून को दर्शाया गया है। आप इसे पर्वत के हिसाब map में देख सकते हैं। अरब सागरी शाखा का कुछ भाग नर्मदा घाटी व गुजरात में वर्षा कराती हुई आगे बढ़ती है। इस शाखा से राजस्थान में वर्षा नहीं होता है। यह शाखा दिल्ली के रायसीना की पहाड़ी से टकराकर वर्षा कराती है और आर्द्रता कम होने पर वहीं रूकी रहती है। बंगाल की खाड़ी वाली शाखा का कुछ भाग सोमेश्वर, राजमहल की पहाड़ी से टकराकर बिहार में वर्षा कराती है। कुछ भाग गारो, खासी, जयंतिया में फंसकर निकल नहीं पाती और मासिनराम में सर्वाधिक वर्षा कराती है। इसका कुछ भाग ब्रह्मपुत्र नदी घाटी (असम) में प्रवेश कर मिकिर पहाड़ी से टकराकर वर्षा कराती है। इसी मानसून की एक शाखा गारो की पहाड़ी से टकराकर बायीं ओर घुम जाती है और झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी वर्षा कराती है। 

● बंगाल की खाड़ी वाली शाखा गंगा के मैदान में वर्षा कराती हुई दिल्ली की ओर बढ़ती है और अरब सागरीय शाखा से मिलजाती है और दिल्ली में पुनः वर्षा कराती है।

● अब दोनों शाखा आगे बढ़ती है और अंत में पंजाब राज्य में जाती है।

● सर्वाधिक वर्षा मासिनराम में तथा सबसे कम वर्षा लेह में होती है।

● अब तक सितम्बर का महिना आ चुका होता है और मानसून लौटने लगता है लौटने का कारण मानचित्र से समझें।

● लौटी मानसून की दिशा उत्तर-पूरब होता है, इसे उत्तरी-पूर्वी मानसून या लौटता मानसून या मानसून का निवर्तन (Retreat- ing) कहते हैं।

● लौटते मानसून के कारण उड़िसा तथा आंध्रप्रदेश में चक्रवात आते हैं। जबकि आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु में वर्षा होती है।

● लौटते मानसून से सर्वाधिक वर्षा तमिलनाडु में होती है।

जेट स्ट्रीम - वायुमंडल में अति तीव्रगति से चलने वाली वायु प्रवाह प्रणाली है। इसकी अधिकतम गति 340 KM/h होता है। 

● भारत में आने वाली दक्षिण पश्चिम मानसून का संबंध ऊष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम से है। जबकि शीत कालीन मानसून (उत्तर पूर्वी मानसून) का संबंध उपोष्ण पश्चिमी जेट स्ट्रीम से है।

● एलनीनो भी भारतीय मानसून को प्रवाहित करती है। एलनीनो सिद्धांत - गिलबर्ट वाल्कर।

पश्चिमी विक्षोभ (Western Distrubance) -

● यह ठण्ड के दिनों में भू-मध्य सागर में उत्पन्न होती है इसे जेट स्ट्रीम भारत की ओर लाती है।

● पंजाब, राजस्थान तथा उत्तर भारत में ठण्ड के दिनों में वर्षा पश्चिमी विक्षोभ से होती है।

● पंजाब में इस वर्षा को रवी फसल का टॉनिक कहते हैं।

● राजस्थान में इस वर्षा को मावट कहते हैं।

● केरल में लेटराइट मृदा है तथा मसाला का उत्पादन अधिक होता है।

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अंतिम शब्द  :

दोस्तो उम्मीद करता हूं कि आप सभी को मेरे द्वारा दी गयी भारतीय भूगोल (Indian Geography) नोट्स भाग 02 पसंद आयी होगी। अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो ये आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। हम जल्द ही भारतीय भूगोल नोट्स भाग 03 लेकर आने वाले है। आपको किसी विषय का नोट्स चाहिए तो आप हमे कमेंट्स बॉक्स में बता सकते है। 

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